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Sunday, January 11, 2009

Health - शहद


हजारों वर्ष पूर्व से ही संसार के सभी धर्मशास्त्रों, पदार्थवेत्ता-विद्वानों, चिकित्सा शास्त्रों ने शहद की उपयोगिता व महत्व को बताया है। आयुर्वेद के महर्षियों ने भी माना है कि तुलसी व मधुमय पंचामृत का सेवन करने से राज्यक्षमा का आक्रमण नहीं होता और इसका विधिवत ढंग से सेवन कर अनेक रोगों पर विजय पाई जा सकती है।शुद्ध शहद खुशबूदार होता है। यह गर्मी पाकर पिघल जाता है और शीत में जमने लगता है। शुद्ध शहद को शीशी में किसी बर्तन पर टपकाने से साँप की कुंडली जैसा गिरता है, जबकि अशुद्ध शहद बर्तन में टपकाते ही फैल जाता है।आइए, जानें शहद के अमृततुल्य गुण* हृदय की धमनी के लिए शहद बड़ा शक्तिवर्द्धक है। सोते वक्त शहद व नींबू का रस मिलाकर एक ग्लास पानी पीने से कमजोर हृदय में शक्ति का संचार होता है। * पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर शहद को दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है। * सूखी खाँसी में शहद व नींबू का रस समान मात्रा में सेवन करने पर लाभ होता है। * शहद से मांसपेशियाँ बलवती होती हैं। * बढ़े हुए रक्तचाप में शहद का सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है। * अदरक का रस और शहद समान मात्रा में लेकर चाटने से श्वास कष्ट दूर होता है और हिचकियाँ बंद हो जाती हैं। * संतरों के छिलकों का चूर्ण बनाकर दो चम्मच शहद उसमें फेंटकर उबटन तैयार कर त्वचा पर मलें। इससे त्वचा निखर जाती है और कांतिवान बनती है। * कब्जियत में टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद डालकर सेवन करें, लाभ होगा।

शुद्ध शहद खुशबूदार होता है। यह गर्मी पाकर पिघल जाता है और शीत में जमने लगता है। शुद्ध शहद को शीशी में किसी बर्तन पर टपकाने से साँप की कुंडली जैसा गिरता है, जबकि अशुद्ध शहद बर्तन में टपकाते ही फैल जाता है

* शुष्क त्वचा पर शहद, दूध की क्रीम व बेसन मिलाकर उबटन करें। इससे त्वचा की शुष्कता दूर होकर लावण्यता प्राप्त होगी। * एक गिलास दूध में बिना शकर डाले शहद घोलकर रात को पीने से दुबलापन दूर होकर शरीर सुडौल, पुष्ट व बलशाली बनता है। * शहद नित्य सेवन निर्बल आमाशय व आँतों को बल प्रदान करता है। * प्याज का रस और शहद समान मात्रा में मिलाकर चाटने से कफ निकल जाता है तथा आँतों में जमे विजातीय द्रव्यों को दूर कर कीड़े नष्ट करता है। इसे पानी में घोलकर एनीमा लेने से लाभ होता है।

NOTE---
( शुद्ध शहद खुशबूदार होता है। यह गर्मी पाकर पिघल जाता है और शीत में जमने लगता है। शुद्ध शहद को शीशी में किसी बर्तन पर टपकाने से साँप की कुंडली जैसा गिरता है, जबकि अशुद्ध शहद बर्तन में टपकाते ही फैल जाता है )

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