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Wednesday, January 21, 2009

स्वस्थ खाओ 'तन मन' जगाओ



BY- निर्मला मूणत

आज के स्वादिष्ट खाने के बजाए बच्चों एवं बड़ों में फास्ट फूड की ओर रुझान बढ़ रहा है। इसके चलते छोटे-छोटे बच्चे भी मोटापे व मधुमेह जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। ऐसे समय में यदि गृहणियाँ थोड़ी सी सुझबूझ से काम लें तो स्वाद व सेहतयुक्त भोजन से सबको जोड़ सकती हैं।सुव्यवस्थित व स्वच्छ घर की आत्मा होता है हमारा रसोईघर। जहाँ बने भोजन से आनंद तथा तृप्ति मिलती है।
लेकिन कभी-कभी हम स्वाद व स्वच्छता को सेहत से अधिक महत्व देकर आवश्यक पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं। अतः यदि थोड़ी सी समझदारी व सावधानी भोजन बनाने में शामिल हो जाए तो क्या कहना। भोजन में स्वास्थ्य व स्वाद का मेल होना जरूरी है। संतुलित भोजन में कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, जल खनिज लवण व रेशे की विशेष उपस्थिति रहती है। संतुलित व स्वास्थ्यवर्धक भोजन का महँगा होना जरूरी नहीं है। सस्ते दाम पर भी स्वास्थ्यवर्धक भोजन, फल- सब्जी हम पा सकते हैं।कुछ बिन्दू स्वास्थ्य व सेहत के लिए
* प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगाएँ व उन्हें बासी मुँह पानी पीने की आदत डालें।
* चाय की जगह ताजा दूध उबालकर ठंडा करके बच्चों को दें। इसमें प्राप्त प्रोटीन व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए जरूरी होता है।
* सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थ की जगह उबले चने, चोकर वाले आटे के बिस्किट, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनाएँ जिसमें हरा धनिया, खोपरा, प्याज, टमाटर, हल्का सा नमक व जीरा डालकर, नीबू निचोड़कर बच्चों को दीजिए, जो विटामिन ई से भरपूर है। यह चेहरे की चमक बढ़ाकर उर्जावान बनाएगा।
* सब्जियों को उपयोग करते समय पहले उन्हें दो तीन पानी से धो लें। छीलते समय पतला छिलका उतारें क्योंकि छिलके व गूदे के बीच की पतली परत विटामिन बी से भरी होती है।
* सब्जियों को अधिक देर तक न पकाएँ,नहीं तो उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाएँगे। इसी तरह हरी पत्तेदार सब्जियों से मिलने वाले आयरन की कमी को कैप्सूल व दवाइयों के रूप में पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें।
* सप्ताह में एक दो दिन पत्तेदार हरी सब्जी जैसे पालक, मैथी, मूली के पत्ते, चौलाई व सरसों का साग जरूर खाएँ। इन सब्जियों को छिलके वाली दालों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें भी प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं। अतः इन्हें नियमित रूप से अपने भोजन में स्थान जरूर दें।
* चावल बनाते समय माँड न निकालें। कभी-कभी सोलर कुकर में खाना पकाएँ, समय की बचत होगी तथा सारे पोषक तत्व बने रहेंगे।
* मिक्स आटे की रोटी बनाएँ। 1 किलो गेहूँ, 1 किलो देशी छिलके वाला चना, 1 किलो जौ, इसमें छिलका होने से कब्ज नहीं रहेगा क्योंकि चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है। आटा हमेशा बड़े छेद वाली छलनी से ही छानें।
* दाल व सब्जी में मिठास डालना हो तो शकर की जगह गुड़ डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौहतत्व, कैल्शियम व केरोटिन होता है जो खून की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।
* सभी खट्टे फल सब्जियाँ जहाँ तक संभव हो कच्चे ही खाएँ व खिलाएँ क्योंकि खट्टे फलों का व सब्जियों का विटामिन सी गर्म करने पर नष्ट हो जाता है।
* भोजन के साथ सलाद-प्याज, ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकन्दर, पत्तागोभी आदि खाने की आदत डालें। जो मल गतिक्रम को नियमित रख आपको रोगों की जड़ कब्जीयत से बचाएगा।
* परिवार के लोगों को दिन भर में 2-3 लीटर पानी पीने को प्रेरित करें।
बच्चों को चॉकलेट, बिस्किट की जगह गुड़ की मेवायुक्त चॉकलेट, मूँगफली तथा तिल की चिकी बनाकर दें। गुड़ की मीठी पुड़ी व नमकीन पुड़ी बनाकर भी दे सकते हैं।
* जहाँ तक हो परिवार के सदस्य साथ-साथ खाना खाने की कोशिश करें। कम से कम शाम को तो साथ में खाना खा ही सकते हैं। साथ में खाना खाने से बच्चों को व पूरे परिवार को आनंद मिलता है तथा समय की बचत होती है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर आप अपने परिवार के सदस्यों को स्वस्थ व सेहतमंद रख सकती हैं।

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