नुस्खेसर्दी,"
आजमाइए, लाभ उठाइए
* भोजन में घी, दूध, चावल, उड़द, नारियल, मलाई, मक्खन, शहद, मौसमी फल, हलवा, हरी साग-भाजी, टमाटर, गाजर, आँवला आदि का सेवन करना चाहिए।
* सर्दियों में बादाम का हलवा, दूध में पकाया हुआ छुहारा, मीठा अनार, प्याज का रस, नारियल की गिरी और दूध की खीर, उड़द दाल का लड्डू, गन्ना रस, सौंठ और काली मिर्च तथा मैथी का लड्डू बहुत फायदेमंद है। योग्य वैद्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, ताकि अपने शरीर के अनुकूल पथ्य-अपथ्य का चयन किया जा सके।
* चिकनाईयुक्त, मधुर, लवण और अम्ल रस वाले पदार्थं का सेवन करके अपना स्वास्थ्य बनाए रखें। बासी, दुर्गंधयुक्त, अधिक चटपटे मसालेदार खानपान से बचना ही श्रेयस्कर है।
* ठीक समय पर, चबा-चबाकर प्रसन्नतापूर्वक भोजन करना चाहिए। भोजन के पूर्व नीबू पानी और भोजन के पश्चात छाछ पीना लाभदायक होता है।
* इस ऋतु में रूखे, कटु-तिक्त-कषाय, अति शीतल और वात प्रधान भोज्य पदार्थ न खाएँ । अन्यथा जोड़ों के दर्द, गठिया और सायटिका से पीड़ित हो सकते हैं। इसी प्रकार अधिक खटाई से भी बचें, ताकि खाँसी-सर्दी, जुकाम, नजला आदि से बचाव हो सके। नीबू और ताजा दही वर्जित नहीं है।
* इस ऋतु में रूखे, कटु-तिक्त-कषाय, अति शीतल और वात प्रधान भोज्य पदार्थ न खाएँ । अन्यथा जोड़ों के दर्द, गठिया और सायटिका से पीड़ित हो सकते हैं। इसी प्रकार अधिक खटाई से भी बचें, ताकि खाँसी-सर्दी, जुकाम, नजला आदि से बचाव हो सके। नीबू और ताजा दही वर्जित नहीं है।
* शीतऋतु में अधिक देर तक भूखे न रहें, क्योंकि जठराग्नि की प्रबलता के कारण यथासमय भोजन नहीं करने से यह अग्नि शरीर की धातुओं को जला डालती है, जिससे जीवन-शक्ति का क्षय होता है।
* सेहत बनाने के लिए प्रतिदिन स्नान भी जरूरी है। कुछ लोग ठंड के डर से कई दिन तक नहाते नहीं, यह उचित नहीं। पानी कुनकुना कर लेना चाहिए। अत्यधिक ठंडा और अधिक गर्म पानी नुकसान पहुँचाता है।
* मल-मूत्र विसर्जन में आलस्य नहीं करना चाहिए। रात को सिर ढँककर सोना भी उचित नहीं होता।
No comments:
Post a Comment