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Thursday, January 15, 2009

गेहूँ के जवारे

गेहूँ के जवारे का रस अमृततुल्य है। ये प्रकृति की आशीर्वादरूपी देन है। उसे पाया भी आसानी से जाता है और लाभ भी आसानी से मिलता है। इसके सेवन से स्वास्थ्य की देखभाल हो सकती है। रोगों को दूर कर बचाव भी कर सकते हैं। गेहूँ के जवारे का रस अमृत का काम करते हैं। यह कुदरत का दिया हुआ खून है। प्रकृति में ऐसी अमूल्य वनस्पतियाँ हैं जिनका सेवन सही तरीके किया जाए तो जीवनभर स्वस्थ और सुखी रह सकते हैं। ऐसा ही जवारे का रस है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्लेषण से यह साबित हुआ है कि इनमें अन्य औषधियों और वनस्पतियों की तुलना में अधिक रोगनाशक और रोग प्रतिरोधात्मक गुण हैं। जवारे का रस दूध, घी, अंडा और अन्य पौष्टिक तत्वों की तुलना में ज्यादा शक्तिवर्धक है। यह विभिन्न रोगों को मिटाता भी है और बचाव भी करता है। इस पौधे के रस का नियमित समय और सही ढंग से सेवन करने से महारोगों से बच सकते हैं और अनिद्रा, त्वचा रोग, संधि वात, प्रदर रोग, बालों के रोग, पीलिया, जुकाम, अनीमिया, मोटापा, पथरी एवं कैंसर जैसे रोगों से बच सकते हैं और मिटा भी सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सकों का मानना है कि इस रस के सेवन से बवासीर, अस्थमा, एसिडीटी, कब्ज, लहू की कमी, गठिया के साथ-साथ बुढ़ापे की कमजोरी एवं बुढ़ापे को जल्दी आने से रोक सकते हैं। साथ-साथ शारीरिक सौंदर्य भी पा सकते हैं। जवारे के रस का चिकित्सक की देख-रेख में नियमित और सही ढंग से उपयोग करने से कैंसर जैसे रोग से छुटकारा मिलता है। इस रस में शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ उसमें शोधन करने की भी अद्भुत क्षमता है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में गेहूँ के जवारे के रस को ग्रीन ब्लड की उपमा दी गई है। क्योंकि मनुष्य के रक्त में पाए जाने वाले तत्व इस रस में भी पाए जाते हैं। इसीलिए तो उसके सही उपयोग से हम रोग मुक्त हो सकते हैं। बोने का तरीका : इसे घर में छोटे-छोटे गमलों में बोया जाता है। छः से सात इंच तक होने पर काटकर अच्छी तरह पानी से सफाई करके उसे काटते हैं और मिक्सी में थोड़े पानी के साथ मिलाकर रस बना सकते हैं। तत्पश्चात छानकर उपयोग में लिया जाए। नोट :- रस पीने के बाद एक घंटे तक कुछ भी सेवन नहीं करना चाहिए। रस निकालकर तुरंत उपयोग करें।

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